एलोविरा आयुर्वेद का खजाना ( जाने गुण और उपयोग)
एलोवेरा (धृत कुमारी) के औषधीय गुण
एलोवेरा ( ग्वार पाठा ) का नाम आजकल बहुत चर्चित है . एलोवेरा को हम बहुत से नामो से जानते है - ग्वारपाठा , चित्र कुमारी , धृत कुमारी आदि . बहुत से फायदों की वजह से एलोवेरा को चमत्कारी पौधा कहा जाता है . घृतकुमारी का पौधा बिना तने का या बहुत ही छोटे तने का एक गूदेदार और रसीला पौधा होता है . ग्रामीण लोग इसके चमत्कारों से वाकिफ होने के चलते इसका आसानी से बहुत से रोगों में प्रयोग करते है . शहरों के अनियमित दिनचर्या जीने वालों के लिए एलोवेरा का रस किसी अमृत से कम नहीं |
दुनिया में २०० से अधिक प्रकार की किस्मो का एलोवेरा पाया जाता है . इसमें एलो बाबिड़ेंसिस को मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक मन जाता है . इसकी तासीर गर्म होती हैं इस पौधे का रस बुढ़ापा प्रतिरोधी तत्व है . इसके प्रयोग से इंसान लम्बे समय तक अंदरूनी और बाहरी तौर पर जवान बना रह सकता है . ग्वार पाठे का पौधा गरम और खुश्क जलवायु में पनपता है इसे ज्यादा खाद या सिंचाई की जरुरत नहीं होती .
रासायनिक घटक : इसके रस में १८ अमीनो एसिड , १२ विटामिन और २० खनिज पाए जाते है इसके अलावा कई अन्य अनजाने यौगिग तत्व भी इसमें पाए जाते है . पौधे का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हिस्सा है , इसका रस जिसे बाजार में एलो जेल के नाम से जाना जाता है . एलोवेरा का रस इसके पत्तों से तब निकाला जाता है जब पत्ते तीन साल के हो जाते है . तभी उस रस में अधिकतम पोष्टिक तत्व , और औषधीय गुण मौजूद होते है . इसके पत्तो से रस निकाल कर या बाजार से खरीदकर पिया जा सकता है .
प्राकृतिक उत्पाद होने के कारण न तो इसका कोई साइड इफेक्ट होता है और न ही इसके प्रयोग से कोई व्यक्ति इसका आदि होता है बल्कि यह जैविक रूप से शरीर के लिए एकदम उपयुक्त होता है . इसके रस के सेवन से जहाँ बीमार व्यक्ति अपना स्वास्थ्य ठीक कर सकता है वहीँ स्वस्थ व्यक्ति इसके सेवन से अपने स्वास्थ्य को बनाए रखकर अधिक समय तक जवान बना रह सकता है |
किन बीमारियों में उपयोगी
बालों के लिए : बालों के लिए भी इसके जूस को सिर में लगाने से बाल मुलायम , घने , काले होते है , एलोवेरा जैल या ज्यूस मेहंदी में मिलाकर लगाने से बालो का झड़ना बंद होता है , अगर बाल जड़ से भी जा चुके हो , तो इसका रस नियमित सिर पर लगाते रहने से नए उगने लगते है .
सर्दी खांसी में : अगर सर्दी या खांसी हो गयी हो तो ग्वारपाठा के पत्ते को भून कर उसका जूस निकाल लें और आधा चम्मच जूस एक कप गर्म पानी में मिला कर पी जाएँ , तुंरत लाभ मिलेगा । पेशाब संबन्धी रोगों को दूर करने के लिए एक सप्ताह तक रोज सुबह गूदे को खाएं।
फोड़ा व गाँठ में : ज़ख्म या घाव पर गुदे को क्रीम की तरह लगा सकते है , इसके पत्तों का गूदा करके जरा - सी पीसी हल्दी मिलकर पुल्टिस तैयार करें और गांठ , फोड़े पर रखकर पट्टी बांध दे | फोड़ा पक कर स्वतः फुट जायेगा और मवाद निकल जायेगा |
जलने पर : जले हुए स्थान पर तुरंत इसके गुदे का लेप कर देने से जलन शांत होती है और फफोले नहीं पड़ते है | शहद के साथ मिलकर जेल का प्रयोग करने से जले का निशान भी चला जाता है | जलने पर , अंग कहीं से कटने पर , अंदरूनी चोटों पर एलोवेरा अपने एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण घाव को जल्दी भरता है।
त्वचा सम्बन्धी रोगों में : त्वचा की खराबी , मुंहासे , रूखी त्वचा , धूप से झुलसी त्वचा , झुर्रियों , चेहरे के दाग - धब्बों , आंखों के काले घेरों , फटी एडियों के लिए यह लाभप्रद है। इसका गूदा या जैल निकालकर बालों की जड़ों में लगाना चाहिए। बाल काले , घने - लंबे एवं मजबूत होंगे।
कान दर्द में : कान दर्द में इसके गुदे का रस को आंच पर गर्म कर जो आराम से सहन कर सके जिस कान में दर्द हो उसकी दूसरी तरफ के कान में दो बूंद रस डालने से कान दर्द ठीक होता है |
बवासीर में : बवासीर रोगीं के लिए तो यह रामबाण औषधि है | इसकी सब्जी बनाकर खाने से लाभ होता है और इसका रस पिने से पेट ठीक रहेगा |
गठिया रोगों में : गठिया रोगों में इसके दो फांक कर इसमें हल्दी भरकर हल्का गर्म करें और प्रभावित भाग पर लगातार पट्टी करने से गठिया , जोड़ो में दर्द , मोच या सुजन में विशेष लाभ होता है | जोड़ो के दर्द में एलोवेरा जूस का सेवन सुबह - शाम खली पेट करें और प्रभावित जोड़ो पर लगाने से विशेष फायदा होता है |
कब्ज़ में : कब्ज़ में रोज एलोवेरा जूस का सेवन करने से बहुत ज्यादा फायदा होता है , छोटे बच्चों के कब्ज़ के लिए जूस व हींग मिलकर नाभि के चारों ओर लगा दे , इससे लाभ मिलेगा | यकृत की सुजन में इसके गुदे का सुबह - शाम सेवन से यकृत की कार्यक्षमता बढती है वो पीलिया रोग दूर होता है |
एलोवेरा ( ग्वार पाठा ) का नाम आजकल बहुत चर्चित है . एलोवेरा को हम बहुत से नामो से जानते है - ग्वारपाठा , चित्र कुमारी , धृत कुमारी आदि . बहुत से फायदों की वजह से एलोवेरा को चमत्कारी पौधा कहा जाता है . घृतकुमारी का पौधा बिना तने का या बहुत ही छोटे तने का एक गूदेदार और रसीला पौधा होता है . ग्रामीण लोग इसके चमत्कारों से वाकिफ होने के चलते इसका आसानी से बहुत से रोगों में प्रयोग करते है . शहरों के अनियमित दिनचर्या जीने वालों के लिए एलोवेरा का रस किसी अमृत से कम नहीं |
दुनिया में २०० से अधिक प्रकार की किस्मो का एलोवेरा पाया जाता है . इसमें एलो बाबिड़ेंसिस को मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक मन जाता है . इसकी तासीर गर्म होती हैं इस पौधे का रस बुढ़ापा प्रतिरोधी तत्व है . इसके प्रयोग से इंसान लम्बे समय तक अंदरूनी और बाहरी तौर पर जवान बना रह सकता है . ग्वार पाठे का पौधा गरम और खुश्क जलवायु में पनपता है इसे ज्यादा खाद या सिंचाई की जरुरत नहीं होती .
रासायनिक घटक : इसके रस में १८ अमीनो एसिड , १२ विटामिन और २० खनिज पाए जाते है इसके अलावा कई अन्य अनजाने यौगिग तत्व भी इसमें पाए जाते है . पौधे का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हिस्सा है , इसका रस जिसे बाजार में एलो जेल के नाम से जाना जाता है . एलोवेरा का रस इसके पत्तों से तब निकाला जाता है जब पत्ते तीन साल के हो जाते है . तभी उस रस में अधिकतम पोष्टिक तत्व , और औषधीय गुण मौजूद होते है . इसके पत्तो से रस निकाल कर या बाजार से खरीदकर पिया जा सकता है .
प्राकृतिक उत्पाद होने के कारण न तो इसका कोई साइड इफेक्ट होता है और न ही इसके प्रयोग से कोई व्यक्ति इसका आदि होता है बल्कि यह जैविक रूप से शरीर के लिए एकदम उपयुक्त होता है . इसके रस के सेवन से जहाँ बीमार व्यक्ति अपना स्वास्थ्य ठीक कर सकता है वहीँ स्वस्थ व्यक्ति इसके सेवन से अपने स्वास्थ्य को बनाए रखकर अधिक समय तक जवान बना रह सकता है |
किन बीमारियों में उपयोगी
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ह्रदय रोग और मोटापा कम करने कम ह्रदय रोग होने का मुख्य कारण मोटापा कोलेस्ट्रोल का बढ़ना और रक्तवाहिनियों में वसा का जमाव होना है | ऐसी स्थिति में इसका जूस बेहद फायदेमंद है | हमारे भोजन मेँ बहुत - सी गैर जरूरी चीँजे भी होती है , जिनकी बजह से हमेँ आलस्य तथा थकान होती है। एलोवेरा जूस रोजाना 20ml-30ml की मात्रा मेँ पीने से शरीर मेँ अन्दर से भरपूर तन्दुरूस्ती तथा ताजगी का अहसास होता है तथा ऊर्जा का उच्च स्तर बना रहता है और बजन शरीर के अनुकूल रहता है।
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आजकल ग्वारपाठा के उपयोग कर कई प्रकार के सौन्दर्य प्रसाधन व आयुर्वेदिक औषधियां बनाई जाती है . स्त्री अपने आप को स्वस्थ व सौन्दर्य को बनाए रखने के लिए घृतकुमारी के जूस का नित्य सेवन करें . जिससे शरीर में दुर्बलता , अपचन , चक्कर आना , पेट के विकार , हाथ - पाँव में जलन या झुनझुनाहट होना मानसिक रूप से अस्वस्थ आदि कई लक्ष्ण का पूर्ण निदान हो सकता है . अतः यह औषधि बहुमूल्य है , इसमें गुणों का भंडार है .बालों के लिए : बालों के लिए भी इसके जूस को सिर में लगाने से बाल मुलायम , घने , काले होते है , एलोवेरा जैल या ज्यूस मेहंदी में मिलाकर लगाने से बालो का झड़ना बंद होता है , अगर बाल जड़ से भी जा चुके हो , तो इसका रस नियमित सिर पर लगाते रहने से नए उगने लगते है .
सर्दी खांसी में : अगर सर्दी या खांसी हो गयी हो तो ग्वारपाठा के पत्ते को भून कर उसका जूस निकाल लें और आधा चम्मच जूस एक कप गर्म पानी में मिला कर पी जाएँ , तुंरत लाभ मिलेगा । पेशाब संबन्धी रोगों को दूर करने के लिए एक सप्ताह तक रोज सुबह गूदे को खाएं।
फोड़ा व गाँठ में : ज़ख्म या घाव पर गुदे को क्रीम की तरह लगा सकते है , इसके पत्तों का गूदा करके जरा - सी पीसी हल्दी मिलकर पुल्टिस तैयार करें और गांठ , फोड़े पर रखकर पट्टी बांध दे | फोड़ा पक कर स्वतः फुट जायेगा और मवाद निकल जायेगा |
जलने पर : जले हुए स्थान पर तुरंत इसके गुदे का लेप कर देने से जलन शांत होती है और फफोले नहीं पड़ते है | शहद के साथ मिलकर जेल का प्रयोग करने से जले का निशान भी चला जाता है | जलने पर , अंग कहीं से कटने पर , अंदरूनी चोटों पर एलोवेरा अपने एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण घाव को जल्दी भरता है।
त्वचा सम्बन्धी रोगों में : त्वचा की खराबी , मुंहासे , रूखी त्वचा , धूप से झुलसी त्वचा , झुर्रियों , चेहरे के दाग - धब्बों , आंखों के काले घेरों , फटी एडियों के लिए यह लाभप्रद है। इसका गूदा या जैल निकालकर बालों की जड़ों में लगाना चाहिए। बाल काले , घने - लंबे एवं मजबूत होंगे।
कान दर्द में : कान दर्द में इसके गुदे का रस को आंच पर गर्म कर जो आराम से सहन कर सके जिस कान में दर्द हो उसकी दूसरी तरफ के कान में दो बूंद रस डालने से कान दर्द ठीक होता है |
बवासीर में : बवासीर रोगीं के लिए तो यह रामबाण औषधि है | इसकी सब्जी बनाकर खाने से लाभ होता है और इसका रस पिने से पेट ठीक रहेगा |
गठिया रोगों में : गठिया रोगों में इसके दो फांक कर इसमें हल्दी भरकर हल्का गर्म करें और प्रभावित भाग पर लगातार पट्टी करने से गठिया , जोड़ो में दर्द , मोच या सुजन में विशेष लाभ होता है | जोड़ो के दर्द में एलोवेरा जूस का सेवन सुबह - शाम खली पेट करें और प्रभावित जोड़ो पर लगाने से विशेष फायदा होता है |
कब्ज़ में : कब्ज़ में रोज एलोवेरा जूस का सेवन करने से बहुत ज्यादा फायदा होता है , छोटे बच्चों के कब्ज़ के लिए जूस व हींग मिलकर नाभि के चारों ओर लगा दे , इससे लाभ मिलेगा | यकृत की सुजन में इसके गुदे का सुबह - शाम सेवन से यकृत की कार्यक्षमता बढती है वो पीलिया रोग दूर होता है |
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