अमृतधारा के अचूक उपयोग और घर पर बनाने की विधि
घर पर बनाये अमृत धारा...!आज से लगभग 30-40 वर्ष पूर्व “अमृतधारा” बड़ी प्रचलन में थी। वर्तमान पीढ़ी एसे भूल गई है। यह कई रोगों की एक दवा है।बनाने की विधि यह है:
कपूर, अजवायन सत्व और पिपरमेंट (ये सभी जड़ीबूटी बेचने वाले विक्रेताओ के यहाँ आसानी से मिल जाएगी )
को बराबर मात्रा में लीजिए
निम्न तकलीफ़ों में चमत्कारी असर मिलेगा।आजमाए बेहद सस्ता ओर प्रभावी ।
1* उल्टी जी मचलने पर बताशेया ग्लूकोज में एक बूंद डालकर खिलाये।
2* इसकी चार से आठ बूंदें बताशे मेंया चीनी के शर्बत में मिलाकर दस्त केरोगी को दीजिए। इससे दस्तइ में आराममिलेगा।
4* दांत में दर्द होने पर रुई में भिगोकरदांत में दवा लें।
5* पीली भोंरी, बिच्छू,आदि कीड़ो के काटने पर उसी जगह मलें। काटे हुए स्थान पर अमृतधारा को रुई में भिगोकर लगाये
नोट ~वैद्य के परामर्श पर ही उपयोग करे ।
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कपूर, अजवायन सत्व और पिपरमेंट (ये सभी जड़ीबूटी बेचने वाले विक्रेताओ के यहाँ आसानी से मिल जाएगी )
को बराबर मात्रा में लीजिए
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,इनको एक शीशी में डालकर मिला लीजिए और उस शीशी को धूप में ढक्कन लगा कर रख दीजिए। बीच-बीचमें इस घोल को हिलाते रहिए।थोड़ी देर में ही पानी की तरह तरल हो जाएगी अच्छी तरह ढक्कन लगा कररखे अन्यथा उड जाएगी। यह घर के वैद्य की तरह ही सहायक है। निम्न तकलीफ़ों में चमत्कारी असर मिलेगा।आजमाए बेहद सस्ता ओर प्रभावी ।
1* उल्टी जी मचलने पर बताशेया ग्लूकोज में एक बूंद डालकर खिलाये।
2* इसकी चार से आठ बूंदें बताशे मेंया चीनी के शर्बत में मिलाकर दस्त केरोगी को दीजिए। इससे दस्तइ में आराममिलेगा।
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3* सर में दर्द हिने पर सिर पर मलें।4* दांत में दर्द होने पर रुई में भिगोकरदांत में दवा लें।
5* पीली भोंरी, बिच्छू,आदि कीड़ो के काटने पर उसी जगह मलें। काटे हुए स्थान पर अमृतधारा को रुई में भिगोकर लगाये
नोट ~वैद्य के परामर्श पर ही उपयोग करे ।
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