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जैविक विधि द्वारा दीमक नियंत्रण

दीमक नियंत्रण 1. मक्का के भुट्टे से दाना निकलने के बाद, जो गिण्डीयॉ बचती है, उन्हे एक मिट्टी के घड़े में इक्टठा करके घड़े को खेत में इस प्रकार गाढ़े कि घड़े का मुॅह जमीन से कुछ बाहर निकला हो। घड़े के ऊपर कपड़ा बांध दे तथा उसमें पानी भर दें। कुछ दिनाेंं में ही आप देखेगें कि घड़े में दीमक भर गई है। इसके उपरांत घड़े को बाहर निकालकर गरम कर लें ताकि दीमक समाप्त हो जावे। इस प्रकार के घड़े को खेत में 100-100 मीटर की दूरी पर गड़ाएॅ तथा करीब 5 बार गिण्डीयॉ बदलकर यह क्रिया दोहराएं। खेत में दीमक समाप्त हो जावेगी। 2. सुपारी के आकार की हींग एक कपड़े में लपेटकर तथा पत्थर में बांधकर खेत की ओर बहने वाली पानी की नाली में रख दें। उससे दीमक तथा उगरा रोग नष्ट हो जावेगा। अधिक जानकारी के लिए हमसे सम्पर्क करे विशाल एस.सेप्टा 09755068674

जैविक पध्दति से इल्ली को नियंत्रित करने की विधिया

इल्ली नियंत्रण loading... 1. 5 लीटर देशी गाये के मट्ठे में 5 किलो नीम के पत्ते डालकर 10 दिन तक सड़ायें, बाद में नीम की पत्तियों को निचोड़ लें। इस नीमयुक्त मिश्रण को छानकर 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के मान से समान रूप से फसल पर छिड़काव करें। इससे इल्ली व माहू का प्रभावी नियंत्रण होता है। 2. 5 लीटर मट्ठे में , 1 किलो नीम के पत्ते व धतूरे के पत्ते डालकर, 10 दिन सड़ने दे। इसके बाद मिश्रण को छानकर इल्लियों का नियंत्रण करें। loading... 3. 5 किलो नीम के पत्ते 3 लीटर पानी में डालकर उबाल ली तब आधा रह जावे तब उसे छानकर 150 लीटर पानी में घोल तैयार करें। इस मिश्रण में 2 लीटर गौ-मूत्र मिलावें। अब यह मिश्रण एक एकड़ के मान से फसल पर छिड़के। 4. 1/2 किलो हरी मिर्च व लहसुन पीसकर 150 लीटर पानी में डालकर छान ले तथा एक एकड़ में इस घोल का छिड़काव करें। 5. मारूदाना, तुलसी (श्यामा) तथा गेदें के पौधे फसल के बीच में लगाने से इल्ली का नियंत्रण होता हैं। 6. टिन की बनी चकरी खेतों में लगाने से भी इल्लियां गिर जाती हैं। loading...

जैविक कीटनाशक घर पर बनाने की विधियाँ

loading... जैविक पध्दति द्वारा जैविक कीट एवं व्याधि नियंत्रक: जैविक कीट एवं व्याधि नियंजक के नुस्खे विभिन्न कृषकों के अनुभव के आधार पर तैयार कर प्रयोग किये गये हैं, जो कि इस प्रकार हैं- 1. गौ-मूत् गौमूत्र, कांच की शीशी में भरकर धूप में रख सकते हैं। जितना पुराना गौमूत्र होगा उतना अधिक असरकारी होगा । 12-15 मि.मी. गौमूत्र प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रेयर पंप से फसलों में बुआई के 15 दिन बाद, प्रत्येक 10 दिवस में छिड़काव करने से फसलों में रोग एवं कीड़ों में प्रतिरोधी क्षमता विकसित होती है जिससे प्रकोप की संभावना कम रहती है। नीम के उत्पाद loading... नीम भारतीय मूल का पौघा है, जिसे समूल ही वैद्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। इससे मनुष्य के लिए उपयोगी औषधियां तैयार की जाती हैं तथा इसके उत्पाद फसल संरक्षण के लिये अत्यन्त उपयोगी हैं। नीम पत्ती का घोल http://krushidarpan.blogspot.in/2016/03/high-blood-presure.html नीम की 10-12 किलो पत्तियॉ, 200 लीटर पानी में 4 दिन तक भिगोंयें। पानी हरा पीला होने पर इसे छानकर, एक एकड़ की फसल पर छिड़काव करने से इल्ली की रोकथाम होती है। इस औषधि की त

सभी प्रकार के जैविक खाद तैयार करने की विधिया

जैविक खाद तैयार करने की विधियाँ loading... 1. नाडेप :- loading... इस विधि को ग्राम पूसर जिला यवतमाल महाराष्ट के नारायम देवराव पण्डरी पाण्डे द्वारा विकसित की गई है। इसलिये इसे नाडेप कहते हैं। इस विधि में कम से कम गोबर का उपयोग करके अधिक मात्रा में अच्छी खाद तैयार की जा सकती है। टांके भरने के लिये गोबर, कचरा (बायोमास) और बारीक छनी हुई मिटटी की आवश्यकता रहती हैं। जीवांश को 90 से 120 दिन पकाने में वायु संचार प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। इसके द्वारा उत्पादित की गई खाद में प्रमुख रूप से 0.5 से 1.5% नत्रजन, 0.5 से 0.9% स्फुर एवं 1.2 से 1.4% पोटाश के अलावा अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाये जाते हैं। निम्नानुसार विभिन्न प्रकार के नाडेप टाकों से नाडेप कम्पोस्ट तैयार किया जा सकता है । 1 पक्का नाडेप 2 कच्चा नाडेप (भू नाडेप) 3 टटिया नाडेप क. पक्का नाडेप :- पक्का नाडेप ईटों के द्वारा बनाया जाता है । नाडेप टांके का आकार 10 फीट लंबा, 6 फीट चौड़ा और 3 फीट ऊंचा या 12*5*3 फीट का बनाया जाता है। ईटों को जोडते समय तीसरे, छठवे एवं नवें रद्दे में मधुमक्खी के छत्ते के समान 6''-7'

प्याज (onion)की खेती के बारे में जानने के लिए यहा क्लिक करे !! make money !! onion forming

प्याज की वैज्ञानिक खेती loading... Aaj ke is daur mein pyaj ki kheti ek aisa business hai jise kisan bhai uga kar lakhon mein kama sakte hain. Agar aap onion ki kehti karne ki soch rahe hai to niche diye gaye tips ko follow kar ke accha khasa kama sakte hain. Iske saath saath thodi se jagah mein aap anar phal ki kheti bhi kar sakte hain aur adhik labh kama sakte hain. To aiye jante hai kaise kare pyaj ki adhunik tarike se aur kamay dhre sare paise. जमीन/ भूमि की तैयारी loading... loading... प्याज की सफल खेती में 5.8 से 6.5 के बिच के पी.एच. मान वाले जीवांशयुक्त हल्की दोमट भूमि या बलूई दोमट भूमि को श्रेष्ठ माना जाता है। खेती करने से पहले भूमि की अच्छे से साफ़ सफाई कर के उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए। जलवायु प्याज की खेती हर तरह की जलवायु में किया जा सकता है बस थोड़ी सी सावधानी से काम लिया जाये तो प्याज की अच्छी उत्पादन संभव है। इसकी खेती के लिए ना ज्यादा गर्मी ना ज्यादा ठंड का मौसम सबसे सर्वोतम होता है । इसलिए छत्तीसगढ़ को प्याज के उत्पादन के लिए अनुकुल माना जाता है । कृषि

गेहू की उपज में वृध्दि कैसे करे जानने के लिए यहा क्लीक करे

गेहू की उपज में वृध्दि के उपाय loading... गेहूँ की उपज लगातार बढ रही है। यह वृध्दि गेहूँ की उन्नत किस्मों तथा वैज्ञानिक विधियों से हो रही है। यह बहुत ही आवश्यक है कि गेहूँ का उत्पादन बढाया जाय जो कि बढती हुई जनसंख्या के लिए आवश्यक है। गेहूँ की खेती पर काफी अनुसंधान हो रहा है और उन्नत किस्मों के लिए खेती की नई विधियां निकाली जा रही है। इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि प्रत्येक किसान को गेहूँ की खेती की नई जानकारी मिलनी चाहिए जिससे वह गेहूँ की अधिक से अधिक उपज ले सके। उन्नत किस्में loading... गेहूँ की अधिक उपज लेने के लिए अपने क्षेत्र के लिए अनुमोदित उन्नत किस्म का चुनाव कीजिए। अच्छी उपज के लिए शुध्द प्रमाणित बीज उगाना चाहिए। दवा न मिली हो तो अवश्य मिला लें। खेत में पौधों की उचित संख्या के लिए आवश्यक है कि गेहूँ का जमाव कम से कम 85 प्रतिशत हो। खेत की तैयारी खरीफ की फसल की कटाई के बाद एक जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करें। फिर 2-3 इल्की जुताइयां करनी चाहिए। यदि खेत में नमी की कमी हो ता बोआई के 8-10 दिन पूर्व सिंचाई (पलेवा) करनी चाहिए। यदि खेत में गन्ना, धान या लाही है तो खडी फसल मे

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नमस्कार दोस्तों गेंहू की खेती में अधिक उत्पाद कैसे ले जाने loading... गेहूँ की उपज लगातार बढ रही है। यह वृध्दि गेहूँ की उन्नत किस्मों तथा वैज्ञानिक विधियों से हो रही है। यह बहुत ही आवश्यक है कि गेहूँ का उत्पादन बढाया जाय जो कि बढती हुई जनसंख्या के लिए आवश्यक है। गेहूँ की खेती पर काफी अनुसंधान हो रहा है और उन्नत किस्मों के लिए खेती की नई विधियां निकाली जा रही है। इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि प्रत्येक किसान को गेहूँ की खेती की नई जानकारी मिलनी चाहिए जिससे वह गेहूँ की अधिक से अधिक उपज ले सके। टमाटर की खेती एक लाभ का बिजनेस जानने के लिए यहा क्लिक करे उन्नत किस्में गेहूँ की अधिक उपज लेने के लिए अपने क्षेत्र के लिए अनुमोदित उन्नत किस्म का चुनाव कीजिए। अच्छी उपज के लिए शुध्द प्रमाणित बीज उगाना चाहिए। दवा न मिली हो तो अवश्य मिला लें। खेत में पौधों की उचित संख्या के लिए आवश्यक है कि गेहूँ का जमाव कम से कम 85 प्रतिशत हो। भिंडी की आधुनिक खेती से अधिक लाभ कैसे कमाए जानने के लिए यहाँ क्लिक करे खेत की तैयारी

टमाटर ki खेती Kaise करे !टमाटर की खेती से अधिक उपज कैसे पाएं!! टमाटर की खेती में किट नियंत्रण कैसे करे

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Tamatar ka Kheti aur Business / Tomato Farming Business loading... सबसे पहले आपको यह मालूम करना होगा की आप कितना टमाटर उगाना चाहते हैं और आपके पास कितनी भूमि उपलब्ध है | उसी के अनुसार आपको खाद, दवाई, मेहनत और समय देना होगा | वैसे तो टमाटर के business में काफी कम मेहनत लगता है परन्तु इसमें आपको अपना कीमती समय दे कर बिच बिच में निरक्षण करना होगा ताकि अच्छी पैदावार हो और आमदनी भी अच्छी हो | To chaliye dekhte hai tamatar ke business karne ke liye kin kin jankari aur chijo ka hona jaruri hai: टमाटर में होने वाली बीमारियाँ अर्धपतन – वैसे हर business और खेती में कुछ न कुछ रूकावटे होती है, जैसे टमाटर के खेतो में बीमारी होना जिसे अर्धपतन (aardhpatan) जो की खास कर ठंड के मौसम में होती है | इस बीमारी के होने पर मिटटी और टमाटर में फफूंद (fungus) लग जाते है और टमाटर पूरा ख़राब हो जाता है | इसके अलावे कई तरह के अन्य बिमारियों से बचाया जा सकता है | इसके साथ यह जल्द फैलने वाली बीमारी होती है जिसे रोकने के लिए उचित इंतजाम करना जरुरी है | Is bimari ko rokne kel iye Formaldehyde ka upgyog hota